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स्वसम वेद

वेद / स्वसम वेद

स्वसम वेद

स्वसम वेद क्या है?

स्वसम वेद उस दिव्य ज्ञान को कहते हैं, जो पूर्ण परमात्मा स्वयं अपने मुख से बोलकर प्रदान करते हैं। यह ज्ञान सृष्टि के आरंभ से शाश्वत है और इसे परमात्मा ने मानवता के कल्याण और आत्मा को सृष्टि के रहस्यों से परिचित कराने के लिए दिया है।

गीता में स्वसम वेद का उल्लेख

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 4, श्लोक 32 में स्पष्ट लिखा है: "ब्रह्मणः मुखे", जिसका अर्थ है कि जो वाणी परमात्मा अपने मुख से बोलते हैं, वह ब्रह्म (परमात्मा) का दिव्य ज्ञान है। गीता का यह श्लोक यह प्रमाणित करता है कि स्वसम वेद वह वाणी है, जिसे स्वयं पूर्ण परमात्मा प्रकट करते हैं।

स्वसम वेद और कबीर साहिब

पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब हैं। 1398 में, कबीर साहिब स्वयं इस धरती पर प्रकट हुए और अपने मुख से दिव्य ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने सृष्टि के निर्माण, पालन और विनाश के रहस्यों के साथ-साथ मोक्ष का मार्ग भी बताया। उनकी वाणी को ही स्वसम वेद कहा जाता है, क्योंकि यह ज्ञान उन्होंने सीधे अपने मुख से दिया।

स्वसम वेद और गरीबदास जी महाराज

1727 में, कबीर साहिब ने गरीबदास जी महाराज को सतलोक दिखाया और सृष्टि के रहस्यों और मोक्ष के मार्ग का संपूर्ण ज्ञान प्रदान किया। गरीबदास जी ने इस ज्ञान को अपनी वाणी के रूप में प्रकट किया और इसे ग्रंथ के रूप में लिखवाया। गरीबदास जी की वाणी को भी स्वसम वेद कहा जाता है, क्योंकि यह ज्ञान भी कबीर परमात्मा द्वारा ही दिया गया है।

स्वसम वेद का महत्व

  1. परम सत्य का ज्ञान:
    स्वसम वेद आत्मा को सृष्टि और परमात्मा के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराता है।

  2. सतलोक का मार्ग:
    यह ज्ञान हमें सतलोक, जो परमात्मा का असली निवास है, तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है।

  3. गीता और स्वसम वेद का संबंध:
    गीता अध्याय 4, श्लोक 32 में स्वसम वेद का प्रमाण मिलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह ज्ञान केवल पूर्ण परमात्मा द्वारा ही दिया जा सकता है।

  4. संतों की वाणी का आधार:
    स्वसम वेद के माध्यम से संतों और महापुरुषों ने अपने शिष्यों को मोक्ष का मार्ग दिखाया है।

निष्कर्ष

स्वसम वेद, पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब द्वारा दिया गया ज्ञान है। यह ज्ञान नश्वर संसार से परे है और आत्मा को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करने का मार्ग दिखाता है। गीता के श्लोक "ब्रह्मणः मुखे" से यह प्रमाणित होता है कि स्वसम वेद वही दिव्य ज्ञान है, जिसे परमात्मा स्वयं अपने मुख से बोलते हैं। गरीबदास जी महाराज द्वारा बोली गई वाणी भी स्वसम वेद का हिस्सा है, क्योंकि वह ज्ञान भी कबीर परमात्मा के द्वारा ही दिया गया है। स्वसम वेद मानवता के लिए परमात्मा का सबसे बड़ा उपहार है।


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