श्री गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का पवित्र और सर्वोच्च ग्रंथ है, जिसे सिख धर्म के अनुयायी अत्यंत श्रद्धा और आदर के साथ पूजते हैं। यह ग्रंथ न केवल सिख धर्म का धर्मग्रंथ है, बल्कि यह मानवता के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन और जीवन जीने की कला भी सिखाता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को 1604 ईस्वी में पांचवें गुरु, गुरु अर्जन देव जी द्वारा संकलित किया गया था। इस ग्रंथ में कुल 1430 पृष्ठ हैं, जिन्हें 'अंग' कहा जाता है, और इसमें 36 रागों के माध्यम से गुरु नानक देव जी, गुरु अर्जन देव जी, और अन्य गुरुओं एवं भक्तों की बाणी संकलित है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब का इतिहास गुरु नानक देव जी से शुरू होता है, जिन्होंने 15वीं शताब्दी में सिख धर्म की नींव रखी। गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से एकता, प्रेम, और मानवता का संदेश दिया। उनके बाद आने वाले नौ गुरुओं ने भी इसी सिद्धांत को आगे बढ़ाया और उनकी बाणियों को संकलित किया गया। गुरु अर्जन देव जी ने इन सभी बाणियों को एकत्र करके 'आदि ग्रंथ' के रूप में स्थापित किया, जिसे बाद में गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में मान्यता दी और इसे सिख धर्म का 'गुरु' घोषित किया।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संत कबीर जी की वाणी का विशेष महत्व है। कबीर जी ने अपने दोहों और पदों के माध्यम से समाज में फैले आडंबरों, अंधविश्वासों और सामाजिक बुराइयों पर कड़ा प्रहार किया। उनकी वाणी में सत्य, प्रेम, और भक्ति की अद्भुत शक्ति है, जो मानवता को सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। गुरु ग्रंथ साहिब में कबीर जी की वाणी को स्थान देकर सिख धर्म ने उनकी शिक्षाओं और विचारों को सम्मान दिया है। कबीर जी की वाणी हमें यह सिखाती है कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए भक्ति, सादगी, और सत्यनिष्ठा का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। उनकी वाणी आज भी मानवता के लिए प्रकाश का स्रोत बनी हुई है, जो हमें जीवन के सच्चे अर्थों को समझने और आत्मा की शुद्धि के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक है। यह हमें सत्य, करुणा, और सेवा का मार्ग दिखाता है। सिख धर्म में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को जीवित गुरु माना जाता है, और इसे सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। हर सिख गुरु ग्रंथ साहिब के सामने नतमस्तक होता है और इसके उपदेशों का पालन करता है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि सैकड़ों वर्ष पहले था। यह ग्रंथ हमें जीवन में सच्चाई, संयम, और संतोष का पाठ पढ़ाता है और हमें अपने कर्मों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा देता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के उपदेश आज के समाज में भी एक सशक्त संदेश देते हैं कि प्रेम, एकता, और भाईचारे का पालन ही वास्तविक धर्म है।