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पुराण

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पुराण

पुराण: भारतीय धार्मिक ग्रंथों की अमूल्य धरोहर

भारतीय धर्म और संस्कृति की गहराई को समझने के लिए पुराण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पुराण भारतीय धार्मिक ग्रंथों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो धार्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक ज्ञान का संकलन करते हैं। वे संस्कृत भाषा में लिखे गए प्राचीन ग्रंथ हैं जो वेदों के बाद की काव्यात्मक और कथात्मक साहित्यिक परंपरा का हिस्सा हैं।

पुराणों की संख्या और वर्गीकरण

पुराणों की संख्या लगभग अठारह प्रमुख पुराणों की मानी जाती है, जिन्हें महापुराण कहा जाता है। इसके अलावा, उपपुराण भी हैं जो महापुराणों के साथ ही लिखे गए थे लेकिन इनकी संख्या कम होती है और ये महापुराणों के पूरक के रूप में देखे जाते हैं।

प्रमुख महापुराण

  • ब्रह्म पुराण: सृष्टि के निर्माण और ब्रह्मा, विष्णु, शिव के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करता है।
  • विष्णु पुराण: भगवान विष्णु की पूजा और उनके विभिन्न अवतारों की कथा है।
  • शिव पुराण: भगवान शिव की महिमा और उनके अनगिनत रूपों की कथाएँ प्रस्तुत करता है।
  • भागवत पुराण: भगवान कृष्ण की कथा और भक्ति का मुख्य ग्रंथ है।
  • मार्कंडेय पुराण: धार्मिक कथाओं और लोक जीवन की विशेषताओं का वर्णन करता है।
  • नारद पुराण: संगीतिक और धार्मिक कथाओं का संग्रह है।
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण: सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान कृष्ण के लीलाओं का विवरण देता है।
  • लिंग पुराण: भगवान शिव के लिंग रूप और उनके पूजा विधियों पर केंद्रित है।
  • अग्नि पुराण: अग्नि देवता की पूजा और वैदिक कर्मकांडों का वर्णन करता है।
  • कुण्डलिनी पुराण: तंत्र साधना और देवताओं के महत्व को दर्शाता है।

उपपुराण

उपपुराण महापुराणों के छोटे और विशिष्ट ग्रंथ हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपपुराण हैं:

  • अंगिरा उपपुराण
  • भृगुपुराण
  • नारदीय उपपुराण

लेखन और रचनाकार

पुराणों के लेखकों का नाम सामान्यतः ज्ञात नहीं है क्योंकि ये ग्रंथ कालांतर में विभिन्न ऋषियों और साधुओं द्वारा संकलित और संक्षिप्त किए गए थे। वे एक सामूहिक ज्ञान का परिणाम हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक परंपरा से संकलित हुआ और फिर लिखित रूप में आया।

पुराणों का ज्ञान

पुराण भारतीय संस्कृति और धर्म के आधारभूत तत्वों का वर्णन करते हैं:

  1. सृष्टि निर्माण: पुराणों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के माध्यम से सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार की घटनाओं का वर्णन किया गया है।
  2. धार्मिक उपदेश: पुराण धार्मिक संस्कारों, पूजा विधियों, और नैतिकता के सिद्धांतों की व्याख्या करते हैं।
  3. कथा और लीलाएँ: इनमें देवी-देवताओं, ऋषियों और महापुरुषों की कथाएँ और लीलाएँ शामिल हैं जो धर्म और भक्ति का मार्गदर्शन करती हैं।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज: पुराण सामाजिक नियमों, परंपराओं और त्योहारों की व्याख्या भी करते हैं जो भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं।

निष्कर्ष

पुराण भारतीय धर्म और संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा हैं जो प्राचीन काल की धार्मिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हैं। ये ग्रंथ केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि भारतीय समाज के जीवन के हर पहलू को समझने और सीखने का एक सशक्त माध्यम भी हैं। पुराणों का अध्ययन और अनुसरण न केवल धार्मिक ज्ञान को बढ़ाता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य भी प्रदान करता है।


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